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ईश्वर की खोज से पहले दिशा की खोज

विशुद्ध चैतन्य
विशुद्ध चैतन्य
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कई हज़ार साल पहले की बात है | स्वामी अखंड खुराफाती महाराज ईश्वर के दर्शन करने के लिए सैंकड़ों वर्षों की घनघोर तपस्या की | लेकिन ईश्वर के दर्शन नहीं हुए | वे बहुत ही निराश हुए और तपस्या छोड़ कर एक पहाड़ी के ऊपर चढ़ गए आत्हत्या करने के लिए | अभी वे कूदने ही वाले थे कि उन्हें किसी बच्चे की आवाज सुनाई दी, “ठहरिये महाराज !!!”

स्वामी जी ने चौंक कर पीछे मुड कर देखा तो एक ९-१० साल के बच्चे को वहाँ उस बियाबान कंक्रीट के जंगल में पाकर आश्चर्य चकित रह गये | इस से पहले स्वामी जी कुछ कहते वह लड़का बोला, “महाराज मैं पास के ही सोसाइटी फ्लैट में रहता हूँ और अक्सर यहाँ अपने डौगी को घुमाने लाया करता हूँ | आपको रोज ही मैडिटेशन करते हुए देखता था | आज आप यह क्या करने जा रहें थे ? सुईसाइड ???”

स्वामी ने निराश स्वर में कहा, “क्या करूँ बेटा मैंने ईश्वर के दर्शन करने के लिए तपस्या की लेकिन उनके दर्शन नहीं हुए | इसलिए अब मेरा जीवन व्यर्थ हो गया और मैं….”

“देखिये स्वामी जी | आज टेक्नोलोजी इतनी एडवांस हो गई है कि लोग चन्द्रमा से भी आगे घूम आये लेकिन ईश्वर के दर्शन नहीं हुए और आप यहीं बैठे बैठे ईश्वर के दर्शन करना चाहते हैं ? अरे ऐसे तो यहाँ का एम्एलए भी दर्शन नहीं देगा | आप एक काम करिए… दस दिशाएँ हैं, उनमें से किसी एक में पहूँच जाइए और वहीँ पता पता करिए…अब हर दिशा का कोई न कोई सिक्यूरिटी गार्ड तो होता ही होगा आप सीधे उसी से पूछ लीजियेगा कि ईश्वर इस समय कहाँ मिलेंगे ?”

स्वामी जी बच्चे के ज्ञान से बहुत प्रभावित हुए और निश्चय किया कि वे पूरब दिशा को ही खोजते हैं पहले | क्योंकि सारे भगवान् वहीँ रहते हैं | स्वामी जी ने बच्चे को आशीर्वाद दिया और पूरब दिशा की खोज करने निकल पड़े |

नोट: अभी तक तो उन्हें नहीं मिला पर जैसे ही मिलेगा मैं आप लोगों को बता दूंगा | -विशुद्ध चैतन्य

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